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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2631
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र

प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।

अथवा

संसद द्वारा निर्मित नागरिकता अधिनियम-1955 पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

नागरिकता अधिनियम-1955

भारतीय संसद ने 1955 को संविधान के अनुच्छेद-11 के अनुसार प्राप्त शक्ति का प्रयोग कर 30 दिसम्बर 1955 को नागरिकता अधिनियम-1955 को पारित किया जिसमें निम्न नागरिकता सम्बन्धी प्रावधान किये

(1) जन्म द्वारा नागरिकता की प्राप्ति - इस अधिनियम के द्वारा ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जन्म द्वारा भारत का नागरिक होगा जिसका जन्म भारत में -

(क) 26 जनवरी 1950 को या उसके पश्चात् 1 जुलाई 1987 के पूर्व हुआ है |

(ख) 1 जुलाई 1987 को या उसके पश्चात् किन्तु नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 के प्रारम्भ के पूर्व हुआ है और जिसके माता या पिता में से कोई उसके जन्म के समय भारत का नागरिक है।

(ग) नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 के प्रारम्भ पर या उसके पश्चात्

(i) जहाँ उसके माता या पिता दोनों भारत के नागरिक हैं या

(ii) जिसके माता-पिता में से एक भारत का नागरिक है और दूसरा उसके जन्म के समय पर अवैध प्रवासी नहीं है।

कोई व्यक्ति इस धारा के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा यदि उसके जन्म के समय उसके पिता या उसकी माता को, वादों और वैध आदेशिका में ऐसी उन्मुक्ति प्राप्त है जैसी भारत के राष्ट्रपति को प्रत्यायित किसी प्रभुत्व सम्पन्न विदेशी शक्ति के दूत को दी जाती है और वह यथास्थिति, भारत का / की नागरिक नहीं है यदि उसका पिता या उसकी माता कोई अन्य देशीय शत्रु है और उसका जन्म किसी ऐसे स्थान पर होता है जो समय शत्रु के अधिभोग के अधीन है।

(2) अवजनन द्वारा नागरिकता - भारत के बाहर 26 जनवरी 1950 को या उसके पश्चात् किन्तु 10 दिसम्बर 1992 के पूर्व पैदा हुआ कोई व्यक्ति अवजनन द्वारा भारत का नागरिक होगा, यदि उसका पिता उसके जन्म के समय भारत का नागरिक है। 10 दिसम्बर 1992 को या उसके पश्चात् पैदा हुआ कोई व्यक्ति अवजनन द्वारा भारत का नागरिक होगा, यदि उसके पिता / माता में से कोई उसके जन्म के समय भारत का नागरिक है। परन्तु यदि किसी व्यक्ति का पिता केवल अवजनन द्वारा भारत का नागरिक था तो वह व्यक्ति इस धारा के आधार पर भारत का नागरिक तब के सिवाय नहीं होगा जबकि उसके जन्म का रजिस्ट्रीकरण किसी भारतीय कौन्सलेट में जन्म होने से या इस अधिनियम के प्रारम्भ से इनमें से जो भी पश्चात्वर्ती हो, एक वर्ष के अन्दर या केन्द्रीय सरकार की अनुज्ञा से उक्त कालावधि के अवसान के पश्चात् कर दिया गया है अथवा उसके पिता माता में से कोई उसके जन्म के समय भारत में किसी सरकार के अधीन सेवा में हैं किन्तु यह भी कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 के प्रारम्भ पर या उसके पश्चात् कोई व्यक्ति इस धारा के आधार पर तब के सिवाय भारत का नागरिक नहीं होगा जबकि उनके जन्म का रजिस्ट्रीकरण किसी भारतीय कौन्सलेट में ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से जो विहित की जाए परन्तु यह भी कि किसी ऐसे जन्म को तब के सिवाय रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा जबकि ऐसे व्यक्ति का / की पिता या माता ऐसे प्रारूप में और ऐसी रीति से जो विहित की जाए, यह घोषणा करता / करती है कि अवयस्क दूसरे देश का पासपोर्ट धारण नहीं करता है। कोई अवायस्क जो इस धारा के आधार पर भारत का नागरिक है और किसी अन्य देश का भी नागरिक है, भारत का नागरिक नहीं रहेगा यदि वह पूर्ण वयास्क प्राप्त करने के छह मास के भीतर दूसरे देश की नागरिकता या राष्ट्रीयता का त्याग नहीं करता है। यदि केन्द्रीय सरकार ऐसा निर्देश देती है तो इस बात के होते हुए भी कि रजिस्ट्रीकरण से पूर्व उसकी अनुज्ञा अभिप्राप्त नहीं की गई थी. यह समझा जाएगा कि कोई जन्म इस धारा के प्रयोजनों के लिये उसकी अनुज्ञा से रजिस्ट्रीकृत किया गया है। परन्तु उपरोक्त के आधार पर यह समझा जाएगा कि अविभक्त भारत के बाहर पैदा हुआ (कोई भी व्यक्ति) जो संविधान के प्रारम्भ के समय भारत का नागरिक था या समझा जाता था अवजनन द्वारा भारत का नागरिक है।

(3) रजिस्ट्रीकरण द्वारा नागरिकता की प्राप्ति - इस धारा के उपबंधों तथा ऐसी शर्तों और निर्बन्धनों के जैसे विहित किए जाएँ, अधीन रहते हुए केन्द्रीय सरकार इस नागरिकता के लिये किये गये आवेदन पर किसी ऐसे व्यक्ति को भारत के नागरिक के रूप में रजिस्ट्रीकृत कर सकेगी जो कोई अवैध प्रवासी नहीं है जो संविधान या इस अधिनियम के किसी अन्य उपबंध के आधार पर पहले ही ऐसा नागरिक नहीं है। यदि वह निम्नलिखित प्रवर्गे में से किसी प्रवर्ग का है अर्थात् -

(क) भारतीय उद्धव का वह व्यक्ति जो अविभक्त भारत के बाहर किसी देश या स्थान में मामूली तौर से निवासी है।

(ख) भारतीय मूल का वह व्यक्ति जो रजिस्ट्रीकरण के लिये आवेदन करने के सात वर्ष पूर्व से भारत में मामूली तौर से निवासी है।

(ग) कोई व्यक्ति जो भारत के किसी नागरिक से विवाहित है और रजिस्ट्रीकरण के लिये आवेदन करने के सात वर्ष पूर्व से भारत में मामूली तौर से निवासी है।

(घ) ऐसे व्यक्तियों के जो भारत के नागरिक हैं अप्राप्तवय बालक

(ड) वयस्क प्राप्त और पूर्ण सामर्थ्य का ऐसा व्यक्ति जिसके पिता-माता इस धारा के अधीन भारत के नागरिकों के रूप में रजिस्ट्रीकृत हैं।

(च) वयस्क प्राप्त और पूर्ण सामर्थ्य का ऐसा व्यक्ति जो या जिसके पिता / माता में से कोई पहले स्वतंत्र भारत का नागरिक था और रजिस्ट्रीकरण के लिये कोई आवेदन करने के ठीक 12 माह पूर्व से भारत में मामूली तौर से निवासी है।

(छ) वयस्क प्राप्त और पूर्ण सामर्थ्य का ऐसा व्यक्ति जो भारत का कार्डधारक विदेशी नागरिक के रूप में पाँच वर्ष से रजिस्ट्रीकरण किया गया है और जो रजिस्ट्रीकरण के लिये कोई आवेदन करने के बारह मास पूर्व से भारत में मामूली तौर से निवासी है।

रजिस्ट्रीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्ति की शर्तें

खण्ड (क) और (ग) के प्रयोजनों के लिये किसी आवेदक को भारत में मामूली तौर से निवासी समझा जाएगा यदि वह रजिस्ट्रीकरण के लिये आवेदन करने के ठीक बारह मास पूर्व की सम्पूर्ण अवधि में भारत में रहा है और उसने बारह मास की उक्त अवधि के ठीक पूर्ववर्ती आठ वर्षों के दौरान कम से कम छह वर्ष की अवधि के लिये भारत में निवास किया है किन्तु इस प्रयोजन के लिये कोई व्यक्ति भारतीय मूल का समझा जाएगा यदि वह या उसके माता-पिता में से कोई अविभाषित भारत में या ऐसे अन्य राज्य क्षेत्र में पैदा हुआ था किन्तु केन्द्रीय सरकार यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि विशेष परिस्थितियाँ विद्यमान है, परिस्थितियों को अभिलिखित करने के पश्चात् उपरोक्त बातों के होने के अतिरिक्त विनिर्दिष्ट बारह मास की अवधि को अधिकतम तीस दिन के लिये, जो विभिन्न खण्डों में हो सकेगी, शिथिल कर सकेगी। इसके अतिरिक्त निम्न शर्तें पूर्ण करनी होगी-

(1) कोई भी वयस्क व्यक्ति उपरोक्त धाराओं के अधीन भारत के नागरिकों के रूप में तब तक रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा जब तक उसने द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्रारूप में राजनिष्ठा की शपथ ले ली हो।

(2) कोई भी व्यक्ति जो भारतीय नागरिक था किन्तु उसने भारतीय नागरिकता त्याग दी है या जो उससे वंचित कर दिया गया है या जिसकी भारतीय नागरिकता इस अधिनियम के अधीन समाप्त हो गई है। उसे पुनः नागरिकता की प्राप्ति के लिये, बिना केन्द्र सरकार की पूर्व अनुमति के नागरिकता की प्राप्ति के लिये रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा।

(3) यदि केन्द्रीय सरकार को समाधान हो जाता है कि ऐसे रजिस्ट्रीकरण को न्यायोचित ठहराने वाली विशेष परिस्थितियाँ हैं तो वह किसी अप्राप्तवय को भारतीय नागरिक के रूप में रजिस्ट्रीकृत करा सकेगी।

(4) रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति रजिस्ट्रीकरण द्वारा भारत का नागरिक उस तारीख से ही हो जाएगा उस जिसको वह इस प्रकार रजिस्ट्रीकृत किया जाता है और रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति संविधान के प्रारम्भ से या इस तारीख से ही जिसको वह इस प्रकार रजिस्ट्रीकृत किया गया था इनमें से जो भी पहले हो, रजिस्ट्रीकरण द्वारा भारत का नागरिक समझा जाएगा।

(4) देशीयकरण द्वारा नागरिकता की प्राप्ति - कोई भी वयस्क और पूर्ण सामर्थ्य का व्यक्ति (जो अवैध प्रवासी नहीं है) देशीयकरण प्रमाणपत्र के अनुदान के लिये विहित रीति में आवेदन किया जाता है। वहाँ यदि केन्द्रीय सरकार का समाधान हो जाता है कि आवेदक तृतीय अनुसूची के उपबंधों के अधीन देशीयकरण के लिये अर्हित है तो वह उसे देशीयकरण प्रमाणपत्र अनुदत्त कर सकेगी। जिस व्यक्ति को देशीयकरण प्रमाणपत्र अनुदत्त किया गया है वह द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्रारूप में राजनिष्ठा की शपथ लेने पर उस तारीख से ही जिसको वह प्रमाणपत्र अनुदत्त किया गया है, देशीकरण द्वारा भारत का नागरिक होगा।

(5) राज्यक्षेत्र में मिल जाने से नागरिकता की प्राप्ति -  यदि कोई राज्यक्षेत्र भारत का भाग बन जाता है तो केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचित आदेश द्वारा उन व्यक्तियों को विनिर्दिष्ट कर सकेगी जो उस राज्यक्षेत्र से अपने संसेग के कारण भारत के नागरिक होंगे और वे व्यक्ति भारत के नागरिक उस तारीख से ही जो उस आदेश में विनिर्दिष्ट की जाएगी, हो जाएँगे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के उद्भव और विकास के कारणों की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में कांग्रेस के उदारवादी चरण की विचारधारा, कार्यपद्धति, माँगें, सीमाओं के आलोक में मूल्यांकन कीजिए।
  3. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म के संदर्भ पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- काँग्रेस में उग्रवादी विचारधारा के उद्भव के क्या कारण थे?
  5. प्रश्न- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के तात्कालिक कारण क्या थे?
  6. प्रश्न- बंगाल विभाजन के निहितार्थ स्पष्ट करते हुए स्वदेशी आन्दोलन का वर्णन कीजिए
  7. प्रश्न- कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- उदार राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्यपद्धति का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारतीय उदारवादियों के योगदान पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- उग्रवादी राष्ट्रीय आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके विकास के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- सन् 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  13. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- जलियाँवाला हत्याकांड की घटना तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- खिलाफत आन्दोलन से क्या अभिप्राय है? खिलाफत आन्दोलन के उदय एवं विकास की विवेचना कीजिए।
  16. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- वैध शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा' का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- 'जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- रौलेक्ट एक्ट क्या था?
  24. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  25. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के विषय में आप क्या जानते हैं? इसे आरम्भ करने के क्या कारण थे?
  29. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
  30. प्रश्न- संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार किया गया स्पष्ट कीजिए तथा अपने कार्य निष्पादन में इसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
  31. प्रश्न- भारतीय संविधान सभा की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- संविधान से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- भारतीय संविधान के निर्माण की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- संविधान सभा के प्रकृति स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट कीजिए कि क्या इसे 'वकीलों का स्वर्ग' कहा जा सकता है?
  35. प्रश्न- क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारतीय संविधान 1935 के भारत शासन अधिनियम का वृहत् संस्करण है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिए। संविधान के मुख्य प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
  38. प्रश्न- संविधान सभा द्वारा संविधान के लिए उद्देश्य प्रस्ताव क्या था? संविधान निर्माताओं के सामने संविधान निर्माण में क्या-क्या समस्याएँ थीं?
  39. प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
  40. प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
  41. प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
  43. प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
  44. प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
  45. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
  47. प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
  49. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
  51. प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- भारतीय संविधान की विशालता के क्या कारण हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
  55. प्रश्न- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना को स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- संवैधानिक उपचारों का अधिकार पर टिप्पणी लिखिये।
  59. प्रश्न- बयालिसवें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की मूल प्रस्तावना में किये गये सुधारों को बताइये।
  60. प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
  61. प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
  66. प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  67. प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  68. प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
  70. प्रश्न- मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
  71. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  72. प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
  74. प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
  77. प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
  78. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
  79. प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
  80. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  83. प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
  85. प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के स्वरूप और क्षेत्र का वर्णन कीजिये। भारतीयराजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
  86. प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
  87. प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
  89. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- भारत में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  92. प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  93. प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
  94. प्रश्न- राष्ट्रपति पद की योग्यतायें एवं कार्यकाल बताते हुए इस पद की संवैधानिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझाइये, उसे अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति के पद रिक्तता की स्थिति में उसके कार्यों को कैसे सम्पादित किया जाता है?
  96. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की स्थिति के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रधान की धारणा का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- प्रधानमन्त्री की स्थिति उसका महत्व तथा उसकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
  99. प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
  101. प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
  102. प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
  104. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
  106. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- अनुच्छेद 352 पर प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
  110. प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
  111. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
  112. प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  113. प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
  118. प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  120. प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
  121. प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
  122. प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  123. प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
  125. प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
  126. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
  127. प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
  129. प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
  130. प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
  133. प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
  134. प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  136. प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  137. प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  139. प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  140. प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
  141. प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
  142. प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
  143. प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
  147. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  148. प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
  149. प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
  151. प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
  152. प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  153. प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  155. प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  156. प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  158. प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  159. प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
  161. प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
  162. प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  163. प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
  164. प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
  165. प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
  166. प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
  167. प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  169. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  170. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  171. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  172. प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  173. प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
  174. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  175. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  176. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

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